वह सिर्फ बोलता था “काल भी उसका क्या बिगड़े जो हो भक्त हो महाकाल का“,पर वह बहुतही डर रहा था ।
हैलो दोस्तों , "युवर लाइफ माय रूल्स" यह मेरी लिखी हुवी लघुकथा के - आपके साथ से, आपके प्यार से प्रतिलिपि पर बहुत सारे वाचक हुवे, और समीक्षाएं मिली। इस लघुकथा की वाचको की संख्या २९००० से भी अधिक हो चुकी है और बढ़ते जा रही है । आपका दिल से धन्यवाद।
मै आपके लिए एक डरावनी कहानी लेकर आ रहा हु । "४०५ बी" यह एक भयकथा है जिसे अलग अलग विभाग करके यहाँ प्रकाशित करना चाहता हु । आपका प्यार और साथ मिला तो अगला पार्ट आपकी सेवा में जल्द ही प्रकाशित करूँगा ।
तात्याबा कॉम्प्लेक्स रूम नं ४०५-B - Part 1
५ फेब २०१५ - रात १२ बजे...
रात के १२ बजे थे । घना अंधेरा ,मानो जैसे आसमा काला छत बन गया हो । एक भी सितारा नजर नहीं आ रहा था । माही रूम की गॅलरी मे खड़ा है । वह मूवी देखते देखते अचानक ही उठा था । सनी तकरीबन आधा घंटे से बाथरूम मे है । पृथ्वी सो रहा है । अचानक किसी खिलौने के चक्के की गोल घूमने की आवाज माही को सुनाई दी । वह आवाज पूरी रात की खामोशी को एक ललकार की तरह गूंज रही थी । माहि गॅलरी से रूम के अंदर आने वाले दरवाजे से देखने गया । सनी भी बाथरूम से निकल ही रहा था। कमरे मे सवेरे ७ से ८ और रात को ७ से ८ के बीच मे नल का पानी आता था । परंतु जब सनी बाथरुम से बाहर निकला तब नल अचानक से शुरू होके बंद हुआ । सनी ने वहम समझकर उसे अनदेखा किया । माही जब बाहर गया तब आवाज बंद हो हुकी थी । वो फिरसे कमरे मे आया और दरवाजे को ठीक से बंद कर दिया और फिरसे मूवी देखने लगा । उसने किसी को बताया नहीं की उसे कोई आवाज सुनाई दी थी । सनी ने भी वहम समझ कर नल से पानी आने की बात किसिकों नहीं बताई।
सनी पुना मे पढ़ने के लिए आया था, वह मास्टर ऑफ कम्प्युटर एप्लिकेशन की पढ़ाई कर रहा था । पृथ्वी मास्टर इन जौरनालिस्म और माहि सिमेंटेक नाम की आईटी कंपनी मे जॉब कर रहा था । “तात्याबा कॉम्प्लेक्स“ से तीनों के दिनचर्या अच्छी तरह से चल रही थी । मतलब तीनों को जाने आने मे तकलीफ नहीं थी । हर एक को अपने अपने कॉलेज और कंपनी एक जैसे ही अंतर पर थी, तो उन्होने यहा रहने का फैसला किया । उन दिनो उनकी पहचान किसी कृष्णा नाम के लड़के से हुवी जो की उनके ही गाँव से था । कृष्णा को भी बड़े सालो से उसके गाँव के लड़के ईस बड़े शहर मे मिले थे , तो फिर वे चारो एकसाथ रहने लगे । उन्होने कॉम्प्लेक्स के बारे मे किसी से कुछ पूछताछ नहीं की। वह खुश थे की यहा से उन सबको कॉलेज या कही बाजार जाने के लीए कही दूर जाने की जरूरत नहीं थी । उस खुशी मे उन्होने कुछ बातो पर ध्यान न दिया, जीनके बारे मे इस कॉम्प्लेक्स के आसपास रहने वाले सभी व्यक्तियों को पता था । कृष्णा को भी यह सब बाते पता थी, कृष्णा का कॉम्प्लेक्स के नीचे ही सलून था । पृथ्वी और सनी के गाँव का दोस्त नील यही पुना मे उनके रूम के ८ km पास ही रहता था , तो उसका आना जाना भी लगा रहता था ।
सवेरे (६ जानेवारी २०१५)
धीरे धीरे काला छत रंग बदलने लगा , मानो बादलो के पीछे से सूरज मुस्कुरा रहा था । सवेरा हुआ , माहि , सनी और पृथ्वी नीचे नाश्ता करने आए थे “होटल नीलकमल” पर । तब माही ने रात के आवाज के बारे मे बात छेड़ी । कृष्णा हालकी रोज रूम मे ही सोता है , परतू उस रात वह दुकान पे ही सो गया था । जब माही ने आवाज के बारे मे पृथ्वी और सनी को बताया तब कृष्णा भी वहां आ पहुंचा ।
किसकी आवाज आ रही थी रात को , तुम रात को रूम से बाहर निकले थे क्या ? कृष्णा ने माहि से पूछा।
नहीं, सिर्फ मुझे कुछ छोटे बच्चे की चलाने वाले खिलौने की, जैसे की गाड़ी की आवाज सुनाई दी थी तो मैंने रूम से बाहर निकल कर देखा । वह आवाज एकदम से बंद हो गयी | माहि ने कृष्णा का जवाब दिया ।
कृष्णा को जैसे कुछ पता ही नहीं हो ऐसा मुह कर उसने होटल नीलकमल मे काम करने वाले बंदे से चाय ऑर्डर की और कुर्सी लेकर पास बैठ गया ।
कृष्णा ३ सालो से उस कॉम्प्लेक्स के पहले दुकान मे ही रहता था। उसे ३ साल मे घटी सभी घटनाओ के बारे मे पता था ।
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ । मै जब बाथरूम से निकल रहा था तो अचानक नल शुरू हुआ और थोड़ी देर मे बंद हो गया । इतना कह कर सनी ज़ोर ज़ोर से हसने लगा जैसे की वह मज़ाक कर रहा हो ।
पृथ्वी चुपचाप सब सुन रहा था ।
होटल मे एक टेलीविजन लगाया हुआ था । उसपे हॉरर स्टोरी नामक बॉलीवुड मूवी चल रही थी । सनी को हॉलीवुड मूवीस देखने की आदत थी,तो वो उसमे ज्यादा इंट्रेस्ट नहीं ले रहा था । तब सब डरावनी बाते करने लगे । सनी बोलते हुवे ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहा था की जैसे वो इन बातो पर विश्वास ही नहीं करता हो , पर बात तो कुछ अलग ही थी ।
बाते अभी भी चल रही थी । मूवीस के ऊपर , कुछ सच्ची सुनी सुनाई घटनाओ पर । सब के मन मे कुछ डर तो था ही । हमेशा भूत प्रेत पर विश्वास न करने वाला व्यक्ति भी अंदर से डरता ही है । मानो या न मानो ।
तुम्हें इस तात्याबा कॉम्प्लेक्स के बारे मे पता है क्या ? तब ही कृष्णा ने सबकी बाते तोड़ते हुवे कहा ।
क्या क्या , माही और सनी हसते हुवे बोल रहे थे।
उन्हे लगा की अपने भूत प्रेत पर बाते चल रही है इस लिए ये डराने के लिए हमको ये बात सुना रहा है ।
पर कृष्णा जब बोल रहा था तब उसके चेहरे के भाव पृथ्वी ने पहचान लिए थे ।
कृष्णा क्या हुआ है यहा ? पृथ्वी ने पूछा ।
यहा एक छोटे बच्चे की हत्या हुवी है और उसके ठीक 2 महीने बाद एक २७-२८ साल के हट्टे कट्टे आदमी की । कृष्णा कह रहा था ।
ये कॉम्प्लेक्स का गेट रोज रात को १२ बजे से सवेरे ५ बजे तक बंद रखा जाता है । रात के १२ बजे के बाद यहा कोई बाहर नहीं निकलता ।
माहि और सनी को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था । वह उसकी हर बात पर हस रहे थे ।
कृष्णा बोलने लगा । यहा वह बच्चे का खिलौना है जो की वह दिन रात खेलते रहता था । वह उसके सिवा खाना भी नही खाता था । उसे खाना भी उसी खिलौने बैठके खता था जो की एक बच्चे को बैठके चलाने वाली गाड़ी थी ।
माहि डर के और आगे पूछने लगा । क्योंकि उसे अब बात सच लग रही थी जब कृष्णा ने बच्चे के खिलौने की बात की ।
वह खिलौना एक गाड़ी थी जो चक्के और बच्चे के पैर के ज़ोर से चलती थी । वह पूरी प्लास्टिक की ही थी उसको हाथी का मुह था पीले कलर का ।
चलो छोड़ो तुम बाद में रूम मे आने से डरेंगे मै आगे नहीं बताऊंगा , कृष्णा बात करते हुवे रुक गया ।
किसिकों भी अब आगे सुनने की इच्छा भी नहीं थी । क्योंकि अंदर से सब ही डर रहे थे । परंतु सनी उनकी बात तोड़ते हुवे मज़ाक करने लगा ।
मई नहीं मानता इन बातो को , अगर व्यक्ति की आत्मा होती है तो जानवरो की क्यूँ नहीं ? सनी बोला ।
अगर भगवान पे विश्वास है तो भूत पे भी करना सीखो । माहि ने ज्ञान की बात कही ।
हम सब डर के मारे काँप रहे माहि के इस बात पर खूब हसे
विषय समाप्त हो चुका था ।
रात हुवी, सब १२ बजे तक तो सोते ही नहीं थे । लेकिन हर एक के मन मे कही डर छुपा हुवा था । दोपहर की भूत प्रेत के बारे मे और वह कृष्णा ने बताई हुवी सच्चाई के बारे मे सब सोच रहे थे । माहि तो बेडरूम तक भी नहीं जा रहा था, बल्कि वह तो पेशाब को जाने के लिए भी डरने लगा था । वह सिर्फ बोलता था “काल भी उसका क्या बिगड़े जो हो भक्त हो महाकाल का“,पर वह बहुतही डर रहा था ।
८ जानेवारी २०१५
दो दिन गए , कोई उस बारे मे बात भी नहीं कर रहा था, पर सबके मन मे वो बात थी जरूर। गॅलरी से एक दूसरा कोप्लेक्स था जिसकी गैलरी और एक खिड़की ४०५ B की गॅलरी से दिखती थी। एक औरत हमेशा खिड़की मे ही दिखती देती थी । माहि भी उसको छुप छुप के देखता था और वह भी उसे देखती थी । उस औरत की खिड़की का ही शयनकक्ष था, जब जब गॅलरी मे कोई लड़का आता था तब वह उसे बिना पलक झपकाये घूरती ही रहती थी । माहि को लगता था की वह औरत उसे प्यार से देख रही है परंतु बात कुछ और ही थी शायद...
दोस्तों अगर आपको ये कहाणी के अगले भाग के बारे में उस्तुकता हो, तो इस कहानी के इस भाग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि मै बहुतही जल्दी इसका दूसरा भाग आपको पेश कर सकू। दोस्तों कमेंट करके जरूर बताये आपको कहानी कैसी लगी। पेज पर आने के लिए और कहानी पढ़ने की लिए आपका धन्यवाद ।